Add To collaction

सपनों की तस्वीर - लेखनी प्रतियोगिता -21-Feb-2022

बनाई थी उस दिन सपनों की तस्वीर
जब जाना जल्द पाऊँगी मैं प्रसव पीर
रहने लगी खुश न होती कभी गंभीर 
बदलने वाली थी मेरी प्यारी तक़दीर।

याद आता है मुझको वह सुनहरा दिन
जब समय बीतता हर पल गिन-गिन
नौ माह के बड़े लंबे इंतज़ार के बाद
हुआ था मेरा प्यारा-सा संसार आबाद।

गूँजी थी घर में प्यारी-सी किलकारियाँ
मन खुशी से नाचा बजाकर तालियाँ
लगती थी जीवन की कामना हुई पूरी
दिल की कोई भी इच्छा ना रही अधूरी।

वक्त बीत गया करते तेरी देखभाल
थकने पर भी पूरे न होते तेरे सवाल
भूल जाती सब देख तेरी मुस्कुराहट
देख तेरा दर्द मन में होती घबराहट।

बीतता गया समय तू हो गया जवान
तुझमें देखने लगी मैं अपनी पहचान
विदेशी आकर्षण खींच तुझे ले गया
जुदाई का गम झोली में मेरी दे गया।

तेरा इंतज़ार करना अब हुआ मुश्किल
तुझे हमारी याद आएगी कहता है दिल
तुझे गले से लगा सकूँ यही बची आस
तेरा प्यार पाने हेतु अटकी मेरी सांस।

सोचती हूँ कैसा है ये रिश्ता अनमोल
दुनिया की दौलत लगा सके न मोल
नज़रें लगाए थीं दरवाज़े पर टकटकी
मन हर्षित होता जब कुंडी खटकती।

ना पाती तुझे तो दिल हो जाता खिन्न
ममता मेरी रह गई अधूरी तुम्हारे बिन
जीवन में लगता सब कुछ गया छिन
न जाने कैसे कटेंगे पहाड़ से ये दिन।

वर्षों से सजी थी आँखों में जो तस्वीर
उदास हो गई थी नयनों से बरसे नीर
विदेशी सपनों ने चुभोई थी ऐसी शूल
तस्वीर हो गई बेरंग बस जमी थी धूल।

डॉ. अर्पिता अग्रवाल

   31
17 Comments

Arshi khan

03-Mar-2022 03:31 PM

Behtarin

Reply

Inayat

03-Mar-2022 01:33 PM

बहुत खूब

Reply

Foreign settle bachcho ki man ki vedna vyakt krti marmik rachna

Reply